राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान के निदेशक पद का कार्यभार ग्रहण करने पर डॉ.मनमोहन कुमार गोयल को वैज्ञानिकों एवं कर्मचारियों ने दी शुभकामनाएं
(दिलशाद खान)
(न्यूज़ रुड़कीं)जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग, जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत रूड़की में स्थित, राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान के निदेशक पद का कार्यभार, संस्थान के वरिष्ठतम जलवैज्ञानिक डॉ मनमोहन कुमार गोयल द्वारा, संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ सुधीर कुमार के सेवानिवृत्त होने के पश्चात, दिनांक 01.12.2023, को ग्रहण कर लिया गया ।
निदेशक का कार्यभार ग्रहण करने पर डॉ मनमोहन कुमार गोयल को संस्थान के समस्त वैज्ञानिकों एवं कर्मचारियों द्वारा हार्दिक शुभकामनाएं प्रदान की गईं ।
डॉ. मनमोहन कुमार गोयल का जन्म 27.07.1965 को हुआ था । उन्होंने जानपद अभियांत्रिकी में स्नातक, सिंचाई एवं द्रवीय अभियांत्रिकी में परास्नातक, तथा सिंचाई जल प्रबंधन विषय में डाक्टरेट की उपाधि ग्रहण की । उन्होंने राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, रूडकी के जल संसाधन तंत्र प्रभाग में वर्ष 1990 में वैज्ञानिक बी के पद पर कार्यभार ग्रहण किया, तथा वैज्ञानिक सी, डी, ई, एफ़ के विभिन्न पदों पर कार्य करते हुए अंततः वर्ष 2015 में संस्थान में वैज्ञानिक के पद पर आसीन हुए । वर्तमान में संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ सुधीर कुमार के सेवा निवृत्त होने के पश्चात, दिनांक 01.12.2023 को वे संस्थान के निदेशक के पद पर आसीन हुए हैं ।
डॉ. मनमोहन कुमार गोयल एक सरल, सौम्य, मृदुभाषी व्यक्ति तथा सतही जलविज्ञान एवं जलाशय प्रबंधन के क्षेत्र में उच्च स्तर के एक प्रबुद्ध वैज्ञानिक हैं जिन्होंने सतही जलविज्ञान की विभिन्न विधाओं; जैसे जलविज्ञानीय निदर्शन एवं जलाशय तंत्र के प्रचालन, जल संसाधनों में सुदूर संवेदन एवं भौगोलिक सूचना तंत्र के अनुप्रयोग, सिंचित क्षेत्रों में सतही जल एवं भूजल के संयुग्मी उपयोग, नदी जोड़ो परियोजनाओं आदि विभिन्न क्षेत्रों में उच्च श्रेणी के अनुसंधान कार्य कर संस्थान और देश एवं विदेशों में नवीनतम ऊंचाइयों तक पहुंचाने का सफल कार्य किया है ।
डॉ गोयल एक विलक्षण प्रतिभा के धनी है । अनुसंधान के क्षेत्र में किये गए उनके कार्यों को तकनीकी रिपोर्ट, तकनीकी प्रपत्रों, सम्मेलनों, संगोष्ठियों, कार्यशालों आदि के माध्यम से उन्होंने जल के क्षेत्र में कार्यरत अभियंताओं, शोधकर्ताओं, प्रबुद्ध वैज्ञानिकों तक पहुंचाने का उत्कृष्ट कार्य किया है । उनके द्वारा किये गए कार्यों का वर्णन करना वास्तव में गागर में सागर भरने के समान है । उन्होंने देश के विभिन्न राज्यों की जल समस्याओं के समाधान के लिए अनेकोँ परामर्शदात्री परियोजनाओं का अध्ययन किया, जिनमें मुख्यत: गुजरात की साबरमती एवं मछु नदियों पर निर्मित बांधों का प्रचालन अध्ययन; मध्य प्रदेश की केन-बेतवा तथा दक्षिण भारत की महानदी-गोदावरी नदी जोड़ो परियोजनाओं का जलविज्ञानीय अध्ययन; खम्भात की खाडी की जल उपलब्धता अध्ययन; कृष्णा नदी की विभिन्न बांधों का जल उपलब्धता एवं जलाशय प्रचालन अध्ययन; बोकांग-बेलिंग जल विद्धुत परियोजना का ऊर्जा संभाव्यता अध्ययन; आदि प्रमुख हैं । इसके अतिरिक्त उन्होंने देश के जलाशयों के कुशल प्रचालन के लिए NIH_ReSyP नामक एक सॉफ्टवेर को विकसित किया है जिसकी सहायता से देश के विभिन्न बांधों एवं जलाशयों में कार्यरत अभियंताओं तथा योजनाविदों को जलाशयों के कुशल प्रचालन में सहायता प्रदान होगी । इसके अतिरिक्त श्री गोयल, जलविज्ञानीय परियोजना HP-II के कोर ग्रुप के सदस्य रहे हैं। वे विज्ञान एवं प्रौधौगिकी संस्थान द्वारा प्रायोजित NMSHE परियोजना तथा जलविज्ञानीय निदर्शन के क्षेत्र में स्थित विशिष्ट केंद्र के समन्वयक हैं । वे भारतीय मानक व्यूरो की WRD-10 समिति के सदस्य हैं । वे अनेकोँ वर्षों तक संस्थान द्वारा प्रकाशित अर्धवार्षिक तकनीकी पत्रिका “जल चेतना” के मुख्य सम्पादक तथा भारतीय जल वैज्ञानिकों की पत्रिका “हाइड्रोलॉजी जर्नल” के सम्पादक रहे हैं । वे संस्थान के जल संसाधन प्रभाग व पश्चिमी हिमालय क्षेत्रीय केंद्र जम्मू के प्रभागाध्यक्ष भी हैं । हमें विश्वास है कि वे अपने कार्यकाल में संस्थान को देश-विदेश में नवीनतम ऊंचाइयों तक ले जानी में सफल होंगे ।