भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रूड़की जीएनईसी ने संस्थागत ‘इंडो-जर्मन पार्टनरशिप वर्कशॉप’ की मेजबानी की

(दिलशाद खान)

(न्यूज़ भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रूड़की (आईआईटी रूड़की) आईआईटी रूड़की ने हाल ही में 13 अक्टूबर, 2023 को आईआईटी रूड़की ग्रेटर नोएडा सेंटर (जीएनईसी) में एक कार्यशाला का आयोजन किया। जीएनईसी एनसीआर क्षेत्र में स्थित संस्थान का एक अन्य परिसर है। जीएनईसी विश्व स्तरीय प्रयोगशालाओं, क्लास-रूम, कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा और आईटी प्रयोगशालाओं से सुसज्जित ग्रेटर नोएडा के हरे-भरे वातावरण में स्थित है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रूड़की ने वैज्ञानिक सहयोग बढ़ाने व भारतीय एवं जर्मन संस्थानों के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए “इंडो-जर्मन पार्टनरशिप वर्कशॉप” का आयोजन किया था। इस कार्यक्रम का मुख्य विषय दो अलग-अलग सत्रों के साथ “ब्रिजिंग होराइजन्स: आईआईटी रूड़की में भारत-जर्मन वैज्ञानिक सहयोग” है।

पहला सत्र, जिसका शीर्षक “जर्मन उत्कृष्टता: वैज्ञानिक अवसरों का अनावरण” था, विभिन्न जर्मन हितधारकों, विश्वविद्यालयों और फंडिंग एजेंसियों के प्रयासों, परियोजनाओं, अनुसंधान डोमेन तथा योजनाओं को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य किया। जर्मनी के उल्लेखनीय प्रतिनिधि, जिनमें डीएएडी (नई दिल्ली) का प्रतिनिधित्व डॉ. काटजा लाश एवं सुश्री शिखा सिन्हा ने किया, साथ ही इंडो-जर्मन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्र (आईजीएसटीसी) का प्रतिनिधित्व डॉ. पीवी ललिता नायर भी मौजूद रहे। कई प्रतिष्ठित जर्मन संस्थानों, जैसे पॉट्सडैम विश्वविद्यालय, गौटिंगेन विश्वविद्यालय, फ़्री यूनिवर्सिटैट बर्लिन और कोलोन विश्वविद्यालय ने अपने दृष्टिकोण साझा किए। जर्मन प्रतिभागियों ने भारत-जर्मन सहयोग को सुदृढ़ करने के लिए अग्रणी भारतीय संस्थानों से अपनी अपेक्षाओं को साझा किया, और सहयोगात्मक प्रयासों को सुव्यवस्थित करने के लिए मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान की।

दूसरा सत्र, “आईआईटी रूड़की – सहयोग को सशक्त करने हेतु रास्ते तैयार करने” पर आईआईटी रूड़की की अनुसंधान क्षमताओं, बुनियादी ढांचे एवं विशेषज्ञता के क्षेत्रों पर प्रकाश डाला गया। इसने भारतीय एवं जर्मन संस्थानों के बीच साझेदारी के निर्माण के लिए वैज्ञानिक सहयोग, संसाधन व समर्थन लाने में भरत्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान रूड़की की ताकत पर जोर दिया। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रूड़की का प्रतिनिधित्व प्रोफेसर विमल चंद्र श्रीवास्तव (कुलशासक, अंतर्राष्ट्रीय संबंध), प्रोफेसर अक्षय द्विवेदी (कुलशासक एसआरआईसी), प्रोफेसर पी अरुमगम (भौतिकी विभाग), एवं प्रोफेसर अंकित अग्रवाल (डीएएडी रिसर्च एंबेसडर) ने किया, जिन्होंने सहयोग के लिए संस्थान की क्षमता पर बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान की।

भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रतिनिधियों, डॉ. एसके वार्ष्णेय (सलाहकार एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग प्रमुख) व डॉ. राजीव कुमार ने भी बातचीत के दौरान अपनी बहुमूल्य अंतर्दृष्टि साझा की। इंडो-जर्मन पार्टनरशिप कार्यशाला का आयोजन आईआईटी रूड़की के अंतर्राष्ट्रीय संबंध कार्यालय द्वारा किया गया था, जिसका प्रतिनिधित्व डॉ. शांतनु वहल एवं डॉ. रविकांत रंजन ने किया था। चर्चा आगे चलकर भारतीय एवं जर्मन संस्थानों के बीच उच्च शिक्षा एवं अनुसंधान सहयोग के अंतर्राष्ट्रीयकरण पर हुई।

भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सलाहकार व अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के प्रमुख डॉ. एसके वार्ष्णेय ने कहा कि भारत व जर्मनी के बीच छात्रों और युवा शोधकर्ताओं का आदान-प्रदान पिछले वर्षों में तेजी से बढ़ा है। दोनों देशों ने हाल ही में दोनों देशों के बीच सहयोग को और मजबूत करने के लिए इंडो-ग्रेमैन रिसर्च ट्रेनिंग ग्रुप (आईआरटीजी) पर एक नई पहल शुरू की है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहयोग दोनों देशों के बीच रणनीतिक स्तंभों में से एक है।

कार्यशाला के सार पर प्रकाश डालते हुए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रूड़की के निदेशक प्रोफेसर केके पंत ने कहा, “आईआईटी रूड़की में इंडो-जर्मन पार्टनरशिप वर्कशॉप ने भारत एवं जर्मनी के बीच वैज्ञानिक सहयोग को बढ़ावा देने, आपसी विकास को बढ़ावा देने और भविष्य के सहयोग व नवाचार के लिए मंच तैयार करने के लिए एक अमूल्य मंच के रूप में कार्य किया। वास्तव में जर्मनी (2021 तक) में सबसे अधिक विदेशी छात्रों की संख्या वाले देशों की सूची में भारत चीन के बाद दूसरे स्थान पर है।”

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